नमस्ते दोस्तों आज मै एक बार फिर आप के बीच लेकर आया हूँ एक बेहद ही प्यारी Long Love Story in Hindi तो इसे कृपया पूरा पढ़े और कैसी लगी ये कहानी जरुर बताये
एक बार फिर मेरा मन झूठे सपनों के पीछे भागने लगा था कुछ दिनों बाद ही B.Tech का Result भी आ गया था. मैंने परीक्षा पास कर ली थी एक बार फिर मैं पटना में थी
मैं तुमसे मिलने तुम्हारे ऑफिस चली गई थी तुमने जल्द ही मुझे अंदर बुला लिया था मैं तुम्हारे सामने बैठी थी, पर न जाने क्यूं अपनेपन का कोई एहसास आज मुझे महसूस नहीं हो रहा था
निरंतर भागता वक़्त भले ही आदमी के जीवन में उसके आचार-विचार और हालात सब बदल देता है, फिर भी व़क्त के दरमियान आदमी के जीवन के कुछ लम्हे ज्यों के त्यों दिल के हिमखंड के नीचे अछूते पड़े रह जाते हैं
जिसे पुरे जीवन में न व़क्त बदल पाता है, न आदमी ख़ुद मिटा पाता है एक लंबा समय गुज़र जाने के बाद भी मैं क्या उस लिखे को चाहकर भी मिटा पाई हूँ जिसे कभी व़क्त ने मेरे अतीत के पन्नों पर लिखा था
आज कितने दिनों बाद मैं घर में अकेली थी वह भी छुट्टी के दिन, सासू मां मेरे बेटे आर्यन और पति राजीव के साथ एक रिश्तेदार के घर गई थी फुर्सत के पल पाकर मैं सोना चाहती थी,
पर अकेलापन पाकर अतीत के पन्नों की फड़फड़ाहट कुछ ज़्यादा ही बढ़ने लगी थी न चाहते हुए भी तुम्हारी बहुत याद आ रही थी, साथ ही वो अनकहे प्रश्न भी सामने आ खड़े हुए थे,
जिनके उत्तर तुमसे पूछने थे, पर उत्तर मैंने ख़ुद ही ढूंढ़ लिए थे
मैं मानती हूँ कि जीवन में हम दोनों इतने आगे निकल आए हैं कि अब उन प्रश्नों के कोई मायने नहीं रह गए हैं, फिर भी मुझे लगता है कि कभी हम दोनों ने एक-दूसरे को टूटकर चाहा था.
जो मेरा अपमान किया था, उसकी कचोट आज भी मुझे महसूस होती है
भले ही हम दोनों ने कभी एक-दूसरे को ‘I Love You’ नहीं कहा था, फिर भी उस कच्ची उम्र में भी हम दोनों जानते थे कि हमारा प्यार शब्दों का मोहताज नहीं था
बिना बोले ही तुमने मुझे अपने प्यार का एहसास इतनी गहराई से करवाया था कि मैं तुम्हारे अलावा किसी और के साथ रहने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी कॉलेज में First Year से ही हम दोनों ज़िंदगी की धूप-छांव में साथ रहे
एक दिन भी तुम मुझे कॉलेज में नहीं देखते, तो मेरे घर के आसपास मंडराने लगते सबकी नज़रों से छुपाकर दिए गए तुम्हारे एक-एक फूल को मैं भी कितने जतन से किताबों में छुपाकर रखती थी
तुम्हारी अलमस्त और बेफिक्र ज़िंदगी में नौकरी की फ़िक्र भी मेरे ही कारण समा गई थी इस फ़िक्र ने तुम्हें पूरी तरह जिम्मेदार बना दिया था, जो तुम्हारे चेहरे से स्पष्ट दिखता था
चिंता कैसे ना हो? कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली, तो तुम्हारे पिताजी ख़ुद इतनी ब़ड़ी पोस्ट पर हैं, मुझ जैसे साधारण परिवार के लड़के को क्या देखकर तुम्हारा हाथ सौंपेंगे?
तुम्हारे घर की शानो-शौक़त भी तो कम नहीं है, जिसे देखकर मुझे दूर से ही घबराहट होने लगती है. तुम्हें पाने के लिए मुझे कम-से-कम एक उच्च पद तो प्राप्त करना ही होगा
फिर तुमने M.Tech की पढ़ाई बीच में ही छोड़ मुंबई के एक कोचिंग सेंटर में दाख़िला लेने का फैसला कर लिया था मेरे मना करने पर भी नहीं माने थे
तुमने कहा था, “अगर सम्मान से समाज में जीना है, तुम्हारा प्यार पाना है, तो मुझे मुंबई जाना ही होगा फिर शान से लौटकर तुम्हारे जीवन में आऊंगा. यह वादा है मेरा. इंतज़ार करना मेरा.”
तुम्हारे इसी आत्मविश्वास ने मुझे तुम्हारा इंतज़ार करने का हौसला दिया था B.Tech करने के बाद दूसरे कोर्स करने के बहाने मैं अपनी शादी टालती रही पूरे चार साल गुज़र गए, पर तुमने मेरी कोई खबर नहीं ली,
पापा जल्द-से-जल्द मेरी शादी कर अपनी ज़िम्मेदारियों से मुक्त होना चाहते थे मैं पल-पल तुम्हारे संदेश का इंतज़ार कर रही थी तुम्हारे आने का इंतज़ार कर रही थी, पर न तुम आए और न तुम्हारा कोई संदेश आया था
मेरा धैर्य समाप्त होने लगा था तुम्हारी परवाह करते-करते मैं अपने परिवार के प्रति बेपरवाह भी तो नहीं हो सकती थी पूरे पांच सालो तक अपना विवाह टालती रही थी अब पापा के सामने दलीलें देना बंद कर मैं ख़ामोश हो गई थी
एक के मान के लिए सबका अपमान नहीं कर सकती थी मैं, तुम्हारे विषय में कहां पता करती तुम्हारा घर भी तो शहर के अंतिम छोर पर था, जिसका सही पता भी मेरे पास नहीं था
पापा से भी कैसे तुम्हारे विषय में बात करती तुमने कोई आधार ही नहीं छोड़ा था साथ में एक झिझक भी थी, नारी, सुलभ, लज्जा और पारिवारिक संस्कार, जिसने मेरे होंठ सी रखे थे मुझे पापा की इच्छा के सामने झुकना ही पड़ा,
तुमने भले ही मुझे रुसवा कर अपमानित किया था, पर मैं अपने आचरण से पापा को अपमानित और दुखी नहीं कर सकती थी, इसलिए मुझे उनके द्वारा तय की गई शादी को स्वीकारना ही पड़ा
शादी की रस्में शुरू हो गई थीं मैं दुल्हन थी, पर न चेहरे पर कोई ख़ुशी थी, न मन में कोई उल्लास, आंखें रो-रोकर फूल गई थीं, जिसे लोग मायका छूटने की व्यथा समझ रहे थे नियति भी हमारे साथ न जाने कैसे-कैसे खेल खेलती है
शादी में मात्र चार दिन बाकी थे तब राधा, जो कभी हमारी क्लासमेट हुआ करती थी, मुझे बताया कि आज ही तुमसे उसकी मुलाक़ात हुई है तुम एक IAS अधिकारी बन गए हो और Training समाप्त कर पटना लौटे हो अपने पुराने सभी सहपाठियों से मिलना चाहते हो
यह सब सुनकर मैं स्तब्ध रह गई थी इतने दिनों बाद ख़बर मिली भी तो तब, जब रस्मों-रिवाज़ के साथ एक नए रिश्ते में बंधने की मेरी सारी तैयारी पूरी हो चुकी थी दिल चाह रहा था कि अभी भी समय है, सारे बंधन तोड़कर तुम्हारे पास चली आऊं,
तभी दिमाग़ ने दिल पर लगाम लगाई Training समाप्त होने के बाद तुमने ख़बर क्यूं नहीं भेजी? पहले क्यूं नहीं मिलने आए? सच कहूं, तो उस समय घुटन असहनीय थी पैर अवश हो गए थे, मैं धम्म से बिस्तर पर बैठ गई
तुम पर इतना बड़ा विश्वास कैसे कर लेती अब तक के तुम्हारे आचरण ने मुझे घुटन, दर्द, अपमान के सिवा कुछ नहीं दिया था तुमने अगर मुझसे अपने सारे संबंध तोड़ लिए थे, तो साफ़-साफ़ मुझे बताया होता,
तुम्हारे प्यार का भ्रम ही टूट जाता तुम्हारी चुप्पी को हां समझकर अब मैं अपने जन्मदाता के अपमान और कलंक का कारण नहीं बन सकती थी दोनों कुल को कलंकित नहीं कर सकती थी
मन की गति भी कितनी विचित्र होती हैं, जिसके बिना जीने की कल्पना तक नहीं की थी, जिसके साथ भविष्य के अनगिनत सपने बुने थे मैंने, उसी की सारी यादों को रद्दी पेपर की तरह लपेटकर शादी के हवन कुंड में डाल एक अजनबी के साथ कदम-से-कदम मिलाकर सात फेरे ले, पूरी निष्ठा से उसके साथ जीवन में आगे बढ़ गई थी
ससुराल आकर मैं सामान्य रूप से रस्मों-रिवाज़ और कर्त्तव्यों का पालन सही ढंग से करने की कोशिशें कर रही थी, पर मन था कि तुम्हारे ही सपने देखने लगता, राजीव के स्थान पर मन में तुम ही नज़र आते,
यह जानते हुए कि जीवन अपनी ही बनाई शर्तों पर चल रहा है, तुम्हारे विषय में सोचना व्यर्थ है धीरे-धीरे दो वर्ष गुज़र गए इन सालो में मेरे जीवन में ढ़ेर सारे परिवर्तन आए वैसे भी शादी के बाद लड़कियों के जीवन की दिशा और दशा दोनों ही बदल जाती है,
जो उसे प्रलय को भी झेलने की शक्ति देती है नए परिवेश में नए लोगों के साथ सामंजस्य बैठाने की चेष्टा में उसका पूरा व्यक्तित्व ही बदल जाता है, उसमें पहले से भिन्न एक नई आत्मा का प्रवेश हो जाता है,
जिसमें उसके जीवन की हर पुरानी बात अतीत की परछाईं मात्र रह जाती है. वैसे भी समय की गति इतनी तेज़ होती है कि जीवन के हर विनाशकारी तत्वों को अपने साथ बहा ले जाती है, तब होती है एक नए सृजन की शुरुआत,
एक नई दुनिया का आवाहन मैं भी एक नए सृजन में व्यस्त हो गई थी इन गुज़रे बरसों में मेरे तमाम अनसुलझे-अनकहे सवालों के जवाब भले ही नहीं मिले, पर एक परिवर्तन ज़रूर मेरे अंदर आया मैं राजीव से धीरे-धीरे बहुत प्यार करने लगी,
जब मेरे अंदर किसी नए मेहमान के आने का आगाज़ हुआ, अपने अंदर उसके दिल की धड़कनें सुनाई देने लगीं, सारी विनाशकारी सोच समाप्त हो गई उसके आने के उत्साह से ख़ुद-ब-ख़ुद तुम्हारी यादों पर धूल जमने लगी,
मेरा जुड़ाव इस घर में रहने वाले लोगों से हो गया इस घर के हर सुख-दुख से मैं इस कदर जुड़ गई थी कि यहां की हर वस्तु मेरी अपनी हो गई थी यहां से जितना अपनापन बढ़ रहा था, तुमसे उतना ही परायापन बढ़ने लगा सच कहूं तो तुमसे मोहभंग हो गया
राजीव भी मुझे बहुत प्यार करने लगे थे भरपूर मान-सम्मान देते थे मैं ख़ुश थी कि वह मेरे माता-पिता की कसौटी पर भी खरे उतरे थे, इसलिए मेरे मायकेवाले भी मेरा सुख देखकर सुखी थे
बस, एक ही बात मन में हमेशा उमड़ती-घुमड़ती रहती थी कि एक बार तुमसे आमने-सामने आकर अपने अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर पूछ लूँ, पूछूं तुमसे कि मुझे यूं रुसवा करने का कारण क्या था? वह मौक़ा भी मुझे मिल ही गया था,
जब मैं P.hd की लिखित परीक्षा पास कर इंटरव्यू देने दिल्ली गई थी, इंटरव्यू बोर्ड में तुम भी थे पहले से ही मैं काफ़ी Nerves थी सामने तुम्हें बैठे देख मेरा मन और भी घबरा गया था, पर तुम पहले की तरह ही संकुचित और ख़ामोश बैठे मुझे देख रहे थे
जब प्रश्न पूछने की तुम्हारी बारी आई, तो बहुत ही अपनत्वभरे व्यवहार से तुमने मुझसे प्रश्न पूछे थे एक बार तो मुझे यह भी लगा कि तुम मेरी सहायता करना चाह रहे हो, फिर तो मैं ज़्यादा देर तक तुमसे नाराज़ नहीं रह पाई थी
मुझे तुम्हारा वहां होना अच्छा लगने लगा इंटरव्यू के बाद जब मैं बाहर निकलकर Campus में बने Bench पर आकर बैठी, तो दिल की धड़कनों पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था अभी जो आत्मीयता इंटरव्यू के दौरान महसूस हुई थी
वह बरसों पहले हम दोनों के बीच की आत्मीयता की याद दिला गई अभी मैं उलझन में ही थी कि तुम्हारा ड्राइवर आकर मुझसे बोला था, “मुझे साहब ने भेजा है, चलिए आपको घर छोड़ दूं.”
दूर खड़े तुम मुस्कुरा रहे थे, तब मुझे लगा था कि मैं ग़लत नहीं थी तुम अब भी मुझे प्यार करते हो मेरा साथ चाहते हो मुझे ख़ुद को ख़ास होने का आभास होने लगा था उतनी ही शिद्दत से तुम्हारे प्यार को खो देने का मलाल भी हुआ था
एक चुंबकीय शक्ति मुझे तुम्हारी ओर खींचने लगी थी मेरी बरसों की शांति भंग हो गई थी एक बार फिर मेरा मन झूठे सपनों के पीछे भागने लगा था कुछ दिनों बाद ही P.hd का रिज़ल्ट भी आ गया था मैंने परीक्षा पास कर ली थी
एक बार फिर मैं दिल्ली में थी मैं तुमसे मिलने तुम्हारे ऑफिस चली गई थी तुमने जल्द ही मुझे अंदर बुला लिया था मैं तुम्हारे सामने बैठी थी, पर न जाने क्यूं अपनत्व का कोई एहसास आज मुझे महसूस नहीं हो रहा था
IAS Officer बन जाने की शालीनता तुम्हारे चेहरे से झलक रही थी तुम पहले से काफ़ी स्मार्ट नज़र आ रहे थे मुझे देख बेचैनी से पहलू बदलते हुए तुमने कहा था “तुम्हारा P.hd में Admission हो गया, यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई
तुम्हें मेरी हार्दिक बधाई, तुम Join करने की तैयारी करो, मुझे एक काम से जाना है.” तुम उठ गए थे मैं भी तुम्हारे साथ बाहर आ गई थी मैं घर लौट आई थी मुझे आभास हो गया था कि इधर कुछ दिनों से जो मैं सोच रही थी,
वह मेरा भ्रम मात्र था समय के साथ अब तुम्हारी सोच शायद बदल गई थी कम उम्र का प्यार, तुम्हारी नज़रों में अब शायद बचपना था, जिसमें कोई गहराई नहीं थी अब तुम्हारी सोच परिपक्व हो गई थी,
इसलिए तुम्हारा मुझे आज की तरह छोड़कर चले जाना ही सत्य था, बाकी सब नज़रों का धोखा. बदलते परिवेश में तरुणाई का बचपन वाला प्यार, तुम्हारी नज़रों में शायद नासमझी और पागलपन साबित हुआ था, तभी सब कुछ तुमने आसानी से भुला दिया
घर आई तो आर्यन दौड़कर मुझसे लिपट गया उसकी आवाज़ से मेरे मन के सोए हुए तार झंकृत हो गए उसे सीने से लगाकर मैं रो पड़ी थी. रोने का कारण नहीं समझने पर भी राजीव ने आगे बढ़कर मुझे संभाल लिया था
मैंने अपना सिर राजीव के सीने पर टिका दिया था लंबे झंझावातों के बाद एक गहरी शांति का अनुभव हुआ मुझे अपने सारे प्रश्नों के उत्तर जैसे मिल गए थे अब यही सत्य था यही मेरी दुनिया थी यही मेरा प्यार था
बाकी सब भ्रम मात्र, तभी Call bell की आवाज़ से मेरी तंद्रा भंग हो गई अतीत के पन्ने ख़ुद-ब-ख़ुद सिमटकर बंद हो गए मन यथार्थ को टटोलता उससे जुड़ने लगा था शायद घर के लोग वापस आ गए थे
खुश तो वो रहते है जो
जिस्मो से मोहब्बत करते है
क्यूंकि रूह से मोहब्बत
करने वालो को अक्सर तडपते ही देखा
इसी के साथ मैं आपसे विदा लेता हूँ दोस्तों कैसी लगी ये कहानी कमेंट करके जरुर बताये, और ऐसी ही पोस्ट पढ़ने के लिये Best Hindi Stories को Bookmark करे
इन्हे भी पढ़े :-
एक बार फिर मेरा मन झूठे सपनों के पीछे भागने लगा था कुछ दिनों बाद ही B.Tech का Result भी आ गया था. मैंने परीक्षा पास कर ली थी एक बार फिर मैं पटना में थी
love story kahani in hindi
निरंतर भागता वक़्त भले ही आदमी के जीवन में उसके आचार-विचार और हालात सब बदल देता है, फिर भी व़क्त के दरमियान आदमी के जीवन के कुछ लम्हे ज्यों के त्यों दिल के हिमखंड के नीचे अछूते पड़े रह जाते हैं
जिसे पुरे जीवन में न व़क्त बदल पाता है, न आदमी ख़ुद मिटा पाता है एक लंबा समय गुज़र जाने के बाद भी मैं क्या उस लिखे को चाहकर भी मिटा पाई हूँ जिसे कभी व़क्त ने मेरे अतीत के पन्नों पर लिखा था
आज कितने दिनों बाद मैं घर में अकेली थी वह भी छुट्टी के दिन, सासू मां मेरे बेटे आर्यन और पति राजीव के साथ एक रिश्तेदार के घर गई थी फुर्सत के पल पाकर मैं सोना चाहती थी,
पर अकेलापन पाकर अतीत के पन्नों की फड़फड़ाहट कुछ ज़्यादा ही बढ़ने लगी थी न चाहते हुए भी तुम्हारी बहुत याद आ रही थी, साथ ही वो अनकहे प्रश्न भी सामने आ खड़े हुए थे,
जिनके उत्तर तुमसे पूछने थे, पर उत्तर मैंने ख़ुद ही ढूंढ़ लिए थे
मैं मानती हूँ कि जीवन में हम दोनों इतने आगे निकल आए हैं कि अब उन प्रश्नों के कोई मायने नहीं रह गए हैं, फिर भी मुझे लगता है कि कभी हम दोनों ने एक-दूसरे को टूटकर चाहा था.
Hindi Long Love Story
मेरे भविष्य की हर कल्पना में तुम हुआ करते थे, फिर चुपचाप मेरे जीवन से चले क्यों गए मुझे यूँ अकेला छोड़कर क्यों मेरे जीवन के रंगों को तुमने छीन लिया? बिना किसी अपराध के ठुकराकर,जो मेरा अपमान किया था, उसकी कचोट आज भी मुझे महसूस होती है
भले ही हम दोनों ने कभी एक-दूसरे को ‘I Love You’ नहीं कहा था, फिर भी उस कच्ची उम्र में भी हम दोनों जानते थे कि हमारा प्यार शब्दों का मोहताज नहीं था
बिना बोले ही तुमने मुझे अपने प्यार का एहसास इतनी गहराई से करवाया था कि मैं तुम्हारे अलावा किसी और के साथ रहने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी कॉलेज में First Year से ही हम दोनों ज़िंदगी की धूप-छांव में साथ रहे
एक दिन भी तुम मुझे कॉलेज में नहीं देखते, तो मेरे घर के आसपास मंडराने लगते सबकी नज़रों से छुपाकर दिए गए तुम्हारे एक-एक फूल को मैं भी कितने जतन से किताबों में छुपाकर रखती थी
Lamibi Love Story
फूलों का पूरा एक Herbarium ही तैयार हो गया था आज भी वह Herbarium दिल्ली में मेरे आलमारी में रखा हुआ है, जो हमारे प्यार का गवाह है ग्रेजुएशन में तुम पूरी University में First आए थेतुम्हारी अलमस्त और बेफिक्र ज़िंदगी में नौकरी की फ़िक्र भी मेरे ही कारण समा गई थी इस फ़िक्र ने तुम्हें पूरी तरह जिम्मेदार बना दिया था, जो तुम्हारे चेहरे से स्पष्ट दिखता था
चिंता कैसे ना हो? कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली, तो तुम्हारे पिताजी ख़ुद इतनी ब़ड़ी पोस्ट पर हैं, मुझ जैसे साधारण परिवार के लड़के को क्या देखकर तुम्हारा हाथ सौंपेंगे?
तुम्हारे घर की शानो-शौक़त भी तो कम नहीं है, जिसे देखकर मुझे दूर से ही घबराहट होने लगती है. तुम्हें पाने के लिए मुझे कम-से-कम एक उच्च पद तो प्राप्त करना ही होगा
फिर तुमने M.Tech की पढ़ाई बीच में ही छोड़ मुंबई के एक कोचिंग सेंटर में दाख़िला लेने का फैसला कर लिया था मेरे मना करने पर भी नहीं माने थे
तुमने कहा था, “अगर सम्मान से समाज में जीना है, तुम्हारा प्यार पाना है, तो मुझे मुंबई जाना ही होगा फिर शान से लौटकर तुम्हारे जीवन में आऊंगा. यह वादा है मेरा. इंतज़ार करना मेरा.”
Love Story Hindi Long
पापा जल्द-से-जल्द मेरी शादी कर अपनी ज़िम्मेदारियों से मुक्त होना चाहते थे मैं पल-पल तुम्हारे संदेश का इंतज़ार कर रही थी तुम्हारे आने का इंतज़ार कर रही थी, पर न तुम आए और न तुम्हारा कोई संदेश आया था
मेरा धैर्य समाप्त होने लगा था तुम्हारी परवाह करते-करते मैं अपने परिवार के प्रति बेपरवाह भी तो नहीं हो सकती थी पूरे पांच सालो तक अपना विवाह टालती रही थी अब पापा के सामने दलीलें देना बंद कर मैं ख़ामोश हो गई थी
एक के मान के लिए सबका अपमान नहीं कर सकती थी मैं, तुम्हारे विषय में कहां पता करती तुम्हारा घर भी तो शहर के अंतिम छोर पर था, जिसका सही पता भी मेरे पास नहीं था
पापा से भी कैसे तुम्हारे विषय में बात करती तुमने कोई आधार ही नहीं छोड़ा था साथ में एक झिझक भी थी, नारी, सुलभ, लज्जा और पारिवारिक संस्कार, जिसने मेरे होंठ सी रखे थे मुझे पापा की इच्छा के सामने झुकना ही पड़ा,
तुमने भले ही मुझे रुसवा कर अपमानित किया था, पर मैं अपने आचरण से पापा को अपमानित और दुखी नहीं कर सकती थी, इसलिए मुझे उनके द्वारा तय की गई शादी को स्वीकारना ही पड़ा
Hindi Me Long Love Story
शादी में मात्र चार दिन बाकी थे तब राधा, जो कभी हमारी क्लासमेट हुआ करती थी, मुझे बताया कि आज ही तुमसे उसकी मुलाक़ात हुई है तुम एक IAS अधिकारी बन गए हो और Training समाप्त कर पटना लौटे हो अपने पुराने सभी सहपाठियों से मिलना चाहते हो
यह सब सुनकर मैं स्तब्ध रह गई थी इतने दिनों बाद ख़बर मिली भी तो तब, जब रस्मों-रिवाज़ के साथ एक नए रिश्ते में बंधने की मेरी सारी तैयारी पूरी हो चुकी थी दिल चाह रहा था कि अभी भी समय है, सारे बंधन तोड़कर तुम्हारे पास चली आऊं,
तभी दिमाग़ ने दिल पर लगाम लगाई Training समाप्त होने के बाद तुमने ख़बर क्यूं नहीं भेजी? पहले क्यूं नहीं मिलने आए? सच कहूं, तो उस समय घुटन असहनीय थी पैर अवश हो गए थे, मैं धम्म से बिस्तर पर बैठ गई
तुम पर इतना बड़ा विश्वास कैसे कर लेती अब तक के तुम्हारे आचरण ने मुझे घुटन, दर्द, अपमान के सिवा कुछ नहीं दिया था तुमने अगर मुझसे अपने सारे संबंध तोड़ लिए थे, तो साफ़-साफ़ मुझे बताया होता,
तुम्हारे प्यार का भ्रम ही टूट जाता तुम्हारी चुप्पी को हां समझकर अब मैं अपने जन्मदाता के अपमान और कलंक का कारण नहीं बन सकती थी दोनों कुल को कलंकित नहीं कर सकती थी
New hindi love story Long
ससुराल आकर मैं सामान्य रूप से रस्मों-रिवाज़ और कर्त्तव्यों का पालन सही ढंग से करने की कोशिशें कर रही थी, पर मन था कि तुम्हारे ही सपने देखने लगता, राजीव के स्थान पर मन में तुम ही नज़र आते,
यह जानते हुए कि जीवन अपनी ही बनाई शर्तों पर चल रहा है, तुम्हारे विषय में सोचना व्यर्थ है धीरे-धीरे दो वर्ष गुज़र गए इन सालो में मेरे जीवन में ढ़ेर सारे परिवर्तन आए वैसे भी शादी के बाद लड़कियों के जीवन की दिशा और दशा दोनों ही बदल जाती है,
जो उसे प्रलय को भी झेलने की शक्ति देती है नए परिवेश में नए लोगों के साथ सामंजस्य बैठाने की चेष्टा में उसका पूरा व्यक्तित्व ही बदल जाता है, उसमें पहले से भिन्न एक नई आत्मा का प्रवेश हो जाता है,
जिसमें उसके जीवन की हर पुरानी बात अतीत की परछाईं मात्र रह जाती है. वैसे भी समय की गति इतनी तेज़ होती है कि जीवन के हर विनाशकारी तत्वों को अपने साथ बहा ले जाती है, तब होती है एक नए सृजन की शुरुआत,
Long cute love stories in hindi
जब मेरे अंदर किसी नए मेहमान के आने का आगाज़ हुआ, अपने अंदर उसके दिल की धड़कनें सुनाई देने लगीं, सारी विनाशकारी सोच समाप्त हो गई उसके आने के उत्साह से ख़ुद-ब-ख़ुद तुम्हारी यादों पर धूल जमने लगी,
मेरा जुड़ाव इस घर में रहने वाले लोगों से हो गया इस घर के हर सुख-दुख से मैं इस कदर जुड़ गई थी कि यहां की हर वस्तु मेरी अपनी हो गई थी यहां से जितना अपनापन बढ़ रहा था, तुमसे उतना ही परायापन बढ़ने लगा सच कहूं तो तुमसे मोहभंग हो गया
राजीव भी मुझे बहुत प्यार करने लगे थे भरपूर मान-सम्मान देते थे मैं ख़ुश थी कि वह मेरे माता-पिता की कसौटी पर भी खरे उतरे थे, इसलिए मेरे मायकेवाले भी मेरा सुख देखकर सुखी थे
बस, एक ही बात मन में हमेशा उमड़ती-घुमड़ती रहती थी कि एक बार तुमसे आमने-सामने आकर अपने अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर पूछ लूँ, पूछूं तुमसे कि मुझे यूं रुसवा करने का कारण क्या था? वह मौक़ा भी मुझे मिल ही गया था,
Emotional Long Love story in hindi
जब प्रश्न पूछने की तुम्हारी बारी आई, तो बहुत ही अपनत्वभरे व्यवहार से तुमने मुझसे प्रश्न पूछे थे एक बार तो मुझे यह भी लगा कि तुम मेरी सहायता करना चाह रहे हो, फिर तो मैं ज़्यादा देर तक तुमसे नाराज़ नहीं रह पाई थी
मुझे तुम्हारा वहां होना अच्छा लगने लगा इंटरव्यू के बाद जब मैं बाहर निकलकर Campus में बने Bench पर आकर बैठी, तो दिल की धड़कनों पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था अभी जो आत्मीयता इंटरव्यू के दौरान महसूस हुई थी
वह बरसों पहले हम दोनों के बीच की आत्मीयता की याद दिला गई अभी मैं उलझन में ही थी कि तुम्हारा ड्राइवर आकर मुझसे बोला था, “मुझे साहब ने भेजा है, चलिए आपको घर छोड़ दूं.”
दूर खड़े तुम मुस्कुरा रहे थे, तब मुझे लगा था कि मैं ग़लत नहीं थी तुम अब भी मुझे प्यार करते हो मेरा साथ चाहते हो मुझे ख़ुद को ख़ास होने का आभास होने लगा था उतनी ही शिद्दत से तुम्हारे प्यार को खो देने का मलाल भी हुआ था
True Long love story in hindi
एक बार फिर मैं दिल्ली में थी मैं तुमसे मिलने तुम्हारे ऑफिस चली गई थी तुमने जल्द ही मुझे अंदर बुला लिया था मैं तुम्हारे सामने बैठी थी, पर न जाने क्यूं अपनत्व का कोई एहसास आज मुझे महसूस नहीं हो रहा था
IAS Officer बन जाने की शालीनता तुम्हारे चेहरे से झलक रही थी तुम पहले से काफ़ी स्मार्ट नज़र आ रहे थे मुझे देख बेचैनी से पहलू बदलते हुए तुमने कहा था “तुम्हारा P.hd में Admission हो गया, यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई
तुम्हें मेरी हार्दिक बधाई, तुम Join करने की तैयारी करो, मुझे एक काम से जाना है.” तुम उठ गए थे मैं भी तुम्हारे साथ बाहर आ गई थी मैं घर लौट आई थी मुझे आभास हो गया था कि इधर कुछ दिनों से जो मैं सोच रही थी,
वह मेरा भ्रम मात्र था समय के साथ अब तुम्हारी सोच शायद बदल गई थी कम उम्र का प्यार, तुम्हारी नज़रों में अब शायद बचपना था, जिसमें कोई गहराई नहीं थी अब तुम्हारी सोच परिपक्व हो गई थी,
इसलिए तुम्हारा मुझे आज की तरह छोड़कर चले जाना ही सत्य था, बाकी सब नज़रों का धोखा. बदलते परिवेश में तरुणाई का बचपन वाला प्यार, तुम्हारी नज़रों में शायद नासमझी और पागलपन साबित हुआ था, तभी सब कुछ तुमने आसानी से भुला दिया
घर आई तो आर्यन दौड़कर मुझसे लिपट गया उसकी आवाज़ से मेरे मन के सोए हुए तार झंकृत हो गए उसे सीने से लगाकर मैं रो पड़ी थी. रोने का कारण नहीं समझने पर भी राजीव ने आगे बढ़कर मुझे संभाल लिया था
love story in hindi Long
बाकी सब भ्रम मात्र, तभी Call bell की आवाज़ से मेरी तंद्रा भंग हो गई अतीत के पन्ने ख़ुद-ब-ख़ुद सिमटकर बंद हो गए मन यथार्थ को टटोलता उससे जुड़ने लगा था शायद घर के लोग वापस आ गए थे
खुश तो वो रहते है जो
जिस्मो से मोहब्बत करते है
क्यूंकि रूह से मोहब्बत
करने वालो को अक्सर तडपते ही देखा
इसी के साथ मैं आपसे विदा लेता हूँ दोस्तों कैसी लगी ये कहानी कमेंट करके जरुर बताये, और ऐसी ही पोस्ट पढ़ने के लिये Best Hindi Stories को Bookmark करे
इन्हे भी पढ़े :-
3 Comments
Super
ReplyDeleteThankyou
DeleteVery interesting love story in Hindi 😍😍😍,,
ReplyDeletehart toching love story in Hindi now2021
Post a Comment
Show your Thoughts in Comment Box
That Highly Encourage Us
Thankyou